घर के सन्नाटे में ,
इन दिनों दिमाग को थोड़ी शांति मिली। समूचे देश में लॉकडाउन लगने के कारण सप्ताहांतों पर इधर-उधर…
तिनका हूँ, तलवार नहीं |
माझी हूँ, मझधार नहीं |
दीवाली की रात होगी जबदीयों संग मेल-मुलाक़ात।लंबे अंतराल बाद करेंगे तबतुमसे अपने दिल की बात।
प्रेम के लिए आजकलकर लिए जाते हैंकुछ #वादेकुछ पूरे तोकुछ आधे।बनाए रखने वबचाये रखनेअक्षुण्ण इस प्रेम को…
आकर झाँक लो अब तुम इस दिल में,पसरा है सूनापन आज भी महफ़िल में।
अल्फाज़ो को ढूंढ लिया, लेकिन उसे नहीं,अंजाने शख्स को पढ़ लिया, लेकिन उसे नहीं।